रोजाना ऐसी खबरें आती हैं कि कोरोना प्रभावित देशों से लौटने वाले कई लोग अपनी यात्रा को छिपाकर घरों में बैठ गए। उन्होंने क्वारंटाइन प्रक्रिया का पालन नहीं किया और अपने परिवार समेत कई लोगों के लिए मुसीबत बन गए। लेकिन चीन के वुहान से लौटने वाले छात्रों की जुबानी सुनेंगे तो ऐसे लोगों को खुद भी अहसास होगा कि आखिर उन्होंने क्वारंटाइन प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया। वह कहते हैं कि विदेश आने वाले लोग खुद सामने आएं और क्वारंटाइन केंद्रों में पहुंचे। यह तो बड़ी तबाही बचाने का सबसे शुरुआती कदम है। गौरतलब है कि कश्मीर में विदेश यात्रा छिपाने वाले 1200 से अधिक लोगों की अब तक पहचान की जा चुकी है, जिन्हें क्वारंटाइन केंद्रों में भेजा गया है। इसके बावजूद अभी भी कई लोग सामने नहीं आए हैं।
चीन के वुहान से लौटे निजाम उर रहमान वानी ने दिल्ली में क्वारंटाइन केंद्र में बिताए दिनों के अनुभव शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साझा किए हैं। वह कहते हैं कि यह लॉकडाउन पूरे देश की सुरक्षा के लिए है। लोगों र्की जिंदगी बचाने के लिए है। वुहान से लौटने वाला वह अकेला नहीं है, बल्कि करीब 60 छात्र हैं। यह सभी दिल्ली में क्वारंटाइन प्रक्रिया से गुजरने के बाद अब अपने अपने परिजनों के साथ रह रहे हैं। रामबन जिले के बनिहाल कस्बे से 10 किलोमीटर दूर कासकूट गांव के रहने वाले निजाम उर रहमान वानी हुवेई यूनिवर्सिटी आफ मेडिसन वुहान में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए थे। वुहान से ही कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में फैला है। निजाम ने प्रधानमंत्री से बातचीत में कहा कि वहां हालात अत्यंत भयंकर थे, लेकिन केंद्र सरकार की मेहरबानी से हम बच गए। चीन से आने के बाद जहां क्वारंटाइन में रखा गया, वहां सभी सुविधाएं थीं। खाना अच्छा था, रोज डॉक्टर जांच करते थे