आदिशक्ति मां भवानी का सातवां स्वरूप कालरात्रि का है। माता का यह रूप भय से मुक्ति देने वाला है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार कालजयी, शत्रुओं का दमन करने वाली, चंड-मुंड का संहार करने वाली और भक्तों को अभय प्रदान करने वाली मां काली के आधीन सारा जग है। भगवती की समस्त शक्तियां उनके अधीन हैं। वे ही शिव की शक्ति हैं, वे ही विष्णु की नारायणी हैं और वे ही सरस्वती का कार्य सिद्ध करने वाली हैं।
प्राणी जिन-जिन वस्तुओं से दूर भागता है, वह सब मां काली को प्रिय है। मृत्यु, श्मशान, नरमुंड, रक्त, विष ये सब देवी के कालतत्व हैं। भगवान शिव की मोक्षशक्तियों के कार्य मां काली ही पूर्ण करती हैं। काल क्या है, जीवन की गति क्या है, कालरात्रि क्या है? हरि प्रिया नारायणी 'जीवन की शक्ति' है तो कालरात्रि जीव की 'अंतिम चरण की शक्ति' है। हर व्यक्ति अपनी आयु पूरी करके मृत्यु को प्राप्त होता है। अन्त भला हो-यह कौन कामना नहीं करता। लेकिन काल का अनुभव कर लेना कोई सहज नहीं है। देवासुर संग्राम में असुरों की शक्ति कोई कम नहीं थी। रक्तबीज के रक्त की एक बून्द जब पृथ्वी पर गिरती तो उस जैसे अनेक प्रतिरूप वहां उत्पन्न हो जाते थे। अंततः वह मां चंडी ही थीं जिन्होंने रक्तबीज को निस्तेज कर दिया। चंड-मुंड का वध करने के कारण मां काली 'देवी चामुंडा' के नाम से प्रसिद्ध हुईं। मां काली विजय, यश, वैभव, शत्रुदमन, अभय, अमोघता, न्याय और मोक्ष की देवी हैं। देवी का एक अर्थ 'प्रकाश' भी होता है। अर्थात् न्याय के मार्ग से ही जीवन में प्रकाश हो सकता है।