टिकट परम लक्ष्य वाली राजनीति में दलीय प्रतिबद्धता की उम्मीद नहीं की जाती है। दल बदल चलता रहता है, लेकिन बिहार में इस बार के विधानसभा चुनाव में यह कुछ अधिक तेजी से हो रहा है। कुल कितने नेताओं ने दल बदल कर टिकट हासिल किया, इसकी गणना अंतिम चरण के लिए टिकट वितरण के बाद ही होगी। फिलहाल यही कहा जा सकता है कि हरेक पार्टी ने दल बदल को प्रोत्साहित किया।
सालभर में बदल दिया पाला
साल भर पहले कांग्रेस में शामिल हुई पूर्व सांसद लवली आनंद राजद में शामिल हो गईं। उनके पुत्र चेतन आनंद भी साथ आए। पूर्व कांग्रेसी गजानन शाही 2015 के जदयू से बेटिकट होने के बाद सुस्त पड़े हुए थे। टिकट की गुंजाइश बनी तो फिर पुराने घर में लौट आए हैं। उम्मीदवार भी बन गए। पुराने कांग्रेसी नेता प्रो. रामजतन सिन्हा जदयू में चले गए थे। टिकट का भरोसा था। भरोसा टूटा तो जदयू से नाता भी तोड़ लिया।