गोरखपुर, जेएनएन। जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण की स्थिति साफ हो गई है। इस बार गोरखपुर में इस पद पर कोई आरक्षण नहीं है। किसी भी वर्ग का जिला पंचायत सदस्य इस पद के लिए दावेदारी कर सकता है। अनारक्षित घोषित होने के कारण इस चुनाव में घमासान के आसार बढ़ गए हैं। संभावित दावेदारों ने जिला पंचायत सदस्य के चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है।
1995 से त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में आरक्षण की व्यवस्था लागू होने के बाद से ही गोरखपुर कभी भी अनारक्षित नहीं रहा है। 2015 के चुनाव में यह पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित था। गीतांजलि यादव इस पद पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थीं। इसके पहले के चुनाव में यह पद महिला के लिए आरक्षित था और पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक फतेहबहादुर ङ्क्षसह की पत्नी साधना ङ्क्षसह अध्यक्ष बनी थीं। लंबे समय से लोग यहां का पद अनारक्षित होने का इंतजार कर रहे थे, इस बार उनका इंतजार समाप्त हो रहा है। किसी भी वर्ग के दावेदार इस चुनाव में अपना दावा ठोक सकते हैं। आरक्षण का फैसला होते ही सरगर्मी भी बढ़ गई है। कई संभावित दावेदारों ने किसी पर दांव लगाने की बजाय स्वयं मैदान में उतरने की तैयारी शुरू की है। अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस पद को आरक्षण से मुक्त करने का स्वागत किया है।