कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच उत्तर प्रदेश में डेंगू का कहर बरपा है। सबसे अधिक प्रकोप वाराणसी में है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यहां 75 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 की मौत हो चुकी है। वहीं, कानपुर में अब तक तीन की मौत हुई है, जबकि 14 लोग बीमार हैं। प्रयागराज में 8 और मेरठ में 5 मरीज सरकारी अस्पतालों में भर्ती हैं। कुल मिलाकर इन चार जिलों में डेंगू के 102 मरीज हैं।
लखनऊ में जनवरी से लेकर अब तक 57 केस सामने आए हैं, लेकिन फिलहाल कोई मरीज एक्टिव नहीं है।
आइए जानते हैं कि 5जिलों में डेंगू के क्या हैं हालात-
- वाराणसी में बाढ़ के बाद बढ़ा डेंगू का संक्रमण
यहां बाढ़ खत्म होने के बाद डेंगू के साथ ही वायरल बुखार भी बेकाबू होने लगा है। अभी तक शहर में डेंगू के 75 मरीजों की पुष्टि हुई है, जबकि 758 संदिग्ध मरीज हैं। वहीं, डेंगू से 4 की मौत भी हो चुकी है। हालांकि, मौत की आधिकारिक पुष्टि सिर्फ एक की हुई है। मंगलवार को इस जांच में 11 मरीज पॉजिटिव थे।
बढ़ती बीमारियों से जलजमाव और डेंगू प्रभावित क्षेत्र 'सामने घाट' में एंटी लार्वा छिड़काव के अभियान को तेज कर दिया गया है। जिला मलेरिया अधिकारी एससी पांडेय ने बताया कि शहर में अब तक 957 कॉलोनी और 546 गांवों में एंटी लार्वा का छिड़काव हो चुका है।
- कानपुर में भी डेंगू का प्रकोप जारी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 14 डेंगू के मरीज सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं। इसके अलावा 20 से 25 मरीज वायरल फीवर के भी हैं, उनमें डेंगू की जांच के लिए सैंपल मेडिकल कॉलेज भेजे गए हैं। 50 से ज्यादा मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती हैं। कानपुर में डेंगू से अब तक तीन मौत हो चुकी है।
- प्रयागराज में बीते तीन दिनों के भीतर डेंगू के सात नए केस मिले हैं। जबकि अगस्त माह में 24 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई थी। सबसे अधिक डेंगू का प्रकोप शहरी क्षेत्र में हैं। शहर में 15 और ग्रामीण क्षेत्र के 9 मरीज हैं। अब तक 16 मरीज डेंगू से ठीक हो चुके हैं। 8 का अभी इलाज चल रहा है।
- मेरठ में बारिश और जलजमाव से डेंगू का प्रसार तेजी से हो रहा है। यहां अब तक 8 केस की पुष्टि हो चुकी है। जिनमें से 5 का अस्पताल में इलाज चल रहा है। डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को फॉगिंग और एंटी लार्वा छिड़काव का निर्देश देते हुए अलर्ट किया है।
डेंगू चार वायरसों के कारण होता है
डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है। एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है। यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है। डेंगू 4 वायरसों के कारण होता है। इनके नाम - डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4 हैं।
100 डिग्री से अधिक बुखार होने पर क्या करें?
- यदि मरीज को डेंगू है और बुखार 102 डिग्री या इससे ज्यादा है तो माथे पर सादे पानी की पट्टियां रखें।
- मरीज के कमरे में हल्की रोशनी रखें। कम स्पीड पर सीलिंग फैन या कूलर भी चला सकते हैं।
- डेंगू के मरीज के बेड पर मच्छरदानी जरूर लगाएं।
- मरीज की पर्सनल हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। उसके कपड़े नियमित रूप से बदलें।
- हाथ-पैर धोने या नहाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल कराएं।
डेंगू में इन 3 तरह के बुखार से जान को खतरा होता है
- हल्का डेंगू बुखार- इसके लक्षण मच्छर के काटने के करीब एक हफ्ते बाद देखने को मिलते हैं, यह बेहद घातक होता है।
- डेंगू रक्तस्रावी बुखार- लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ दिनों में गंभीर हो सकते हैं।
- डेंगू शॉक सिंड्रोम - यह डेंगू का एक गंभीर रूप है, यह मौत का कारण भी बन सकता है।
संचारी रोगों से ऐसे बचें
- स्वच्छ पानी का इस्तेमाल करें। पानी को उबालकर ठंडा करके पिएं।
- बाहर के खाने से बचें, बासी बचा हुआ खाना बिल्कुल भी न खाएं।
- फ्रिज में रखे ठंडे पानी का सेवन न करें।
- अगर आपको सर्दी जुकाम है तो अलग कमरे में रहें। घर पर छोटे बच्चे हैं तो उनसे दूरी बनाए रखें।
- मौसमी फल व सब्जियों का सेवन करें।
- डेंगू और मलेरिया से बचने के लिए सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- घर को और घर के आसपास का वातावरण स्वच्छ रखें।
- कूलर, फ्रिज व घर के बाहर गड्ढों में पानी जमा न होने दें।
- समय-समय पर गढ्ढों में केमिकल का छिड़काव करते रहें।