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अंतरराष्ट्रीय प्रेस परिषद परिवार क़ी तरफ़ से समस्त पत्रकार एवं छायाकार बंधुओ क़ो हिन्दी पत्रक़ारिता दिवस क़ी हार्दिक बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएँ…अंतरराष्ट्रीय प्रेस परिषद।
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जिला अध्यक्ष फतेहपुर मोहम्मद रईस रहमानी
*👉आज भी हथियार से ज्यादा मारक है क़लम: *
👉मिशन से प्रोफेशन तक की पत्रकारिता का दौर
👉भटकाव क़ा दौर है यह, क्या आगे भी पत्रक़ारिता क़ो मिशन मानने वाले जन्म लेंगे…!
👉पत्रकारिता दिवस पर खास
फ़तेहपुर। 30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस का दिन है।इसी दिन कानपुर के पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने भारत में हिंदी पत्रकारिता की आवाज उदंत मार्तंड समाचार पत्र निकाल कर किया। हालांकि तमाम व्यवसायिक क्षेत्र और दफ्तर पश्चिम बंगाल में थे, इसलिए इस समाचार पत्र का प्रकाशन भी कोलकाता से करना पड़ा और 30 मई 1826 का दिन देश में हिंदी पत्रकारिता के प्रथम समाचार पत्र के रूप में इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर दर्ज हो गया।
यह साप्ताहिक समाचार पत्र हर मंगलवार को निकला करता था।
वैसे तो पत्रकारिता में बहुत सारे गौरवशाली और यादगार दिन हैं. लेकिन 196 साल पहले भारत में पहला हिंदी भाषा का समाचार पत्र 30 मई को ही प्रकाशित हुआ था. इसके पहले प्रकाशक और संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता के जगत में विशेष स्थान है।
उदंत मार्तंड का मतलब उगता हुआ सूरज है सच में इस समाचार पत्र में हिंदी पत्रकारिता में उगते हुए सूरज का काम किया।
शुरु से ही हिंदी पत्रकारिता को बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा. समय के साथ इनका केवल स्वरूप बदला. लेकिन तमाम चुनौतियों के साथ ही हिंदी पत्रकारिता आज ने वैश्विक स्तर पर अपने उपस्थिति दर्ज कराई है। केवल हिंदी अखबार नहीं था तब हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत बंगाल से हुई थी, जिसका श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता के कोलू टोला मोहल्ले की आमड़तल्ला गली से उदंत मार्तंड के प्रकाशन की शुरुआत की थी। उस समय अंग्रेजी फारसी और बांग्ला में पहले से ही काफी समाचार पत्र निकल रहे थे, लेकिन हिंदी में एक भी समाचार पत्र नहीं निकल रहा था।
अंग्रेजी अखबार के बाद लंबा इंतजार करना पड़ा था हिंदी समाचार पत्र को। वैसे तो उदंत मार्तंड से पहले 1780 में एक अंग्रेजी अखबार की शुरुआत हुई थी। फिर भी हिंदी को अपने पहले समाचार-पत्र के लिए 1826 तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। 29 जनवरी 1780 में आयरिश नागरिक जेम्स आगस्टस हिकी अंग्रेजी में ‘कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर’ नाम का एक समाचार पत्र शुरू किया था, जो भारतीय एशियाई उपमहाद्वीप का किसी भी भाषा का पहला अखबार था. 17 मई, 1788 को कानपुर में जन्मे युगल किशोर शुक्ल, ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी के सिलसिले में कोलकाता गए।
कानपुर में जन्मे शुक्ल संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी और बांग्ला के जानकार थे और ‘बहुभाषज्ञ’की छवि से मंडित वे कानपुर की सदर दीवानी अदालत में प्रोसीडिंग रीडरी यानी पेशकारी करते हुए अपनी वकील बन गए. इसके बाद उन्होंने ‘एक साप्ताहिक हिंदी अखबार ‘उदंत मार्तंड’ निकालने क प्रयास शुरू किया। तमाम प्रयासों के बाद उन्हें गवर्नर जनरल की ओर से उन्हें 19 फरवरी, 1826 को इसकी अनुमति मिली।
इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 कॉपियां छपी लेकिन हिंदी भाषी पाठकों की कमी के कारण उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल पाए। वहीं हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था जो एक महंगा सौदा साबित हो रहा था। इसके लिए जुगल किशोर ने सरकार से बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई।
केवल डेढ़ साल ही चल सका अखबार। इसकी कुल 79 अंक ही प्रकाशित हो सके। 30 मई 1826 को शुरू हुआ यह अखबार आखिरकार 4 दिसंबर 1827 को बंद हो गया। इसकी वजह आर्थिक समस्या थी। इतिहासकारों के मुताबिक कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक आदि की सुविधा दी थी, लेकिन "उदंत मार्तंड" को यह सुविधा नहीं मिली।इसकी वजह इस अखबार का बेबाक बर्ताव था। इसके बाद पत्रकारिता का दौर गिरता क्या पत्रकारिता मिशन से प्रोफेशन बन गई अब तो उसकी यह हालत है कि आगे खाई पीछे कुआ है, अब वह जाए तो जाए कहां ऐसे में हमें आत्म चिंतन करने की जरूरत है कि पत्रकारिता की स्थिति को कैसे सुधारा जाए? आज की पत्रकारिता कारपोरेट जगत की पत्रकारिता हो गई है जो कि बाजार के आगे झुक गई है। पत्रकारिता के इस स्तर को उठाने की जरूरत है और इसे सत्ता से दूर रहने की आदत डालनी होगी, नहीं तो आने वाले दिनों में यह हमारा अस्तित्व खतरे में डाल सकती है। वैसे भी शोशल और डिजिटल मीडिया ने कम से कम प्रिंट मीडिया क़ो काफ़ी नुक़सान पहुँचाया है। अब देखना यह महत्वपूर्ण होगा कि पत्रक़ारिता का भविष्य क्या होता है, क्योंकि इस आधुनिक दौर क़ो भटकाव क़ा दौर भी क़हा जा सकता है। यह भी विचारणीय होगा कि क़्या विशुद्ध पत्रक़ारिता क़ा दौर आगे चल पायेगा और पत्रक़ारिता क़ो मिशन मानने वाले आगे भी जन्म लेंगे…!
*👉 अंतरराष्ट्रीय प्रेस परिषद
जिला अध्यक्ष फतेहपुर
मोहम्मद रईस रहमानी
स्वास्थ विभाग ब्यूरो प्रमुख प्रयागराज मंडल मोहम्मद रईस रहमानी फतेहपुर।