कानपुर में ABVP वाले प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस पहुंची। पुलिस ने कुछ कहा होगा कि एक साहब को ऐसी गर्मी चढ़ी कि धकियाकर ACP साहब को ही सड़क पर पटक दिए।
इतने पर भी इन सबों की गर्मी शांत नहीं हुई। ये सब लगातार पुलिस से हाथापाई करते रहे। पुलिस के हाथ में लाठियों थी। लेकिन, जाने क्यों चल नहीं पा रही थी। अगर यहाँ ABVP के अलावे कोई और छात्र संगठन होता तो भी क्या पुलिस का यही रवैया होता? सचमुच लग रहा है भाजपा वालों ने पुलिसवालों को 'थेथर' बना दिया है।
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मैं तो हज़ारो बार बता चुका हु UP में रामराज्य और अमृतकाल एक साथ डबल इंजन पर सवार है उसका नतीजा आये दिन हत्या, बलात्कार, मार पीट, सबसे बड़ी बात यहाँ तो पुलिस की ठुकाई बहुत कायदे से हो रही है पुलिस को भी प्रसाद मिल रहा है बराबर असली रामराज्य UP में ही है
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पुलिस वालों को abvp और भाजपाई से लात खाने से पवित्र हो जाते हैं पुलिस वाले की हनक विपक्ष मुस्लिम दलितों आदिवासियों पर चलती है ऐसे पुलिस वालों के साथ ऐसा ही होना चाहिये
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अंधे जाकर किसी भैंसे वाले डॉक्टर से आंख का इलाज करवा। दिख नहीं रहा है कि गलती से पीछे हटने के क्रम में धक्का लग जाने के कारण एसीपी महोदय गिर गए किसी ने उन्हें नहीं गिराया।
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